98896. شَكُورِي1 98897. شَكوش1 98898. شكوفي1 98899. شُكُوفي1 98900. شَكُوك1 98901. شُكُوك298902. شُكُوكو1 98903. شُكُول1 98904. شَكُول1 98905. شكولاتة1 98906. شكوني1 98907. شِكُوهنج1 98908. شَكْوَى1 98909. شَكْوًى1 98910. شَكْوِيّ1 98911. شَكّى1 98912. شكى2 98913. شكي2 98914. شُكَيْب1 98915. شُكَيْبِيّ1 98916. شَكَيْتُ2 98917. شُكَيْد1 98918. شَكِيد1 98919. شُكَير1 98920. شَكِير1 98921. شُكَيْري1 98922. شَكِيري1 98923. شُكَيْس1 98924. شَكِيس1 98925. شَكِيل1 98926. شَكِين1 98927. شُكَيْوات1 98928. شَلّ1 98929. شل6 98930. شلّ1 98931. شَلَّ 1 98932. شلأ1 98933. شلا4 98934. شَلَا1 98935. شَلّاتي1 98936. شُلَّاتي1 98937. شَلاثا1 98938. شَلاثَى1 98939. شَلَّاح1 98940. شَلَّاخة1 98941. شَلَّاخِي1 98942. شُلّافيّ1 98943. شَلّاك1 98944. شَلَّال1 98945. شَلَّالَة1 98946. شَلالَتَين1 98947. شَلَّالِيَّة1 98948. شِلَّالِيَّة1 98949. شَلامُ1 98950. شُلانْجِرْد1 98951. شَلَّانِيّ1 98952. شلاني1 98953. شَلاهِطُ1 98954. شِلْبُ1 98955. شِلْبٌ1 98956. شلب3 98957. شلباش1 98958. شِلْبَاية1 98959. شلبط1 98960. شلبن2 98961. شَلْبَنَة1 98962. شَلَبي1 98963. شلبية1 98964. شِلَّة1 98965. شلت1 98966. شُلَّتْ يَدُهُ1 98967. شَلْتَاع1 98968. شلتة1 98969. شِلْتَه1 98970. شلتون1 98971. شلث1 98972. شَلْجُ2 98973. شِلْجُ1 98974. شلج1 98975. شلجم5 98976. شَلْجِيكَث1 98977. شَلَحَ1 98978. شِلْحُ1 98979. شلح9 98980. شلح الْعين1 98981. شَلَحَ 1 98982. شَلْحَاوِيّ1 98983. شَلْحَبٌ1 98984. شلحب1 98985. شَلْحَت1 98986. شلحف1 98987. شلحه1 98988. شلحي1 98989. شَلْحِيّ1 98990. شلخَ1 98991. شلخ5 98992. شلخب1 98993. شلخف2 98994. شلخَف1 98995. شَلْخِيّ1 Prev. 100
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شُكُوك
من (ش ك ك) جمع الشك حالة نفسية يتردد معها الذهن بين الإثبات والنفي ويتوقف عن الحكم والتباس الأمر والارتياب فيه. يستخدم للذكور.
شُكُوك
الجذر: ش ك ك

مثال: دارت شكوك كثيرة حول الموضوع
الرأي: مرفوضة
السبب: لجمع المصدر، والأصل فيه ألا يُثَنَّى ولا يُجمع.

الصواب والرتبة: -دارت شكوك كثيرة حول الموضوع [فصيحة]
التعليق: منع بعض اللغويين تثنية المصدر وجمعه مطلقًا، وأجاز ذلك بعضهم إذا أريد بالمصدر العدد أو كان آخره تاء المرَّة، مثل: «رَمْيَة: رَمْيَتان ورميات»، و «تسبيحة: تسبيحتان وتسبيحات»، وكذلك إذا تعددت الأنواع، مثل: «تصريح: تصريحان وتصريحات»، وذلك اعتمادًا على ما جاء في الاستعمال القرآني في قوله تعالى: {وَتَظُنُّونَ بِاللَّهِ الظُّنُونَا} الأحزاب/10، حيث جاءت «الظنون» وهي جمع «الظن» وهو مصدر. وقد أجاز مجمع اللغة المصري إلحاق تاء الوحدة بالمصادر الثلاثية والمزيدة، ثم جمعها جمع مؤنث سالمًا، كما أجاز تثنية المصدر وجمعه جمع تكسير أو جمع مؤنث سالِمًا عندما تختلف أنواعه؛ ومن ثَمَّ يمكن تصويب الاستعمال المرفوض، وقد أورده الأساسيّ.
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