146704. يسكر1 146705. يسل1 146706. يَسُلّ1 146707. يَسْلِب1 146708. يَسْلُخ1 146709. يَسْلِق1146710. يَسْلَم1 146711. يَسَلُوم1 146712. يسم8 146713. يَسِم1 146714. يَسَمَاء1 146715. يَسْمَر1 146716. يَسْمَن1 146717. يسمن2 146718. يَسْمُنُ به1 146719. يَسِمُه1 146720. يَسْمِين1 146721. يسمينة1 146722. يسميي1 146723. يَسَن1 146724. يَسُنّ1 146725. يسن3 146726. يَسِنْدِيّ1 146727. يَسْنَمُ1 146728. يَسْنُومُ1 146729. يَسَنِيّ1 146730. يُسْهِمُ في1 146731. يَسْهُو1 146732. يَسُود البلادُ1 146733. يَسُودَه1 146734. يسوع1 146735. يسوعي1 146736. يَسُومُ1 146737. يَسْوَى1 146738. يُسَوِّي1 146739. يَسِيء1 146740. يسيركث1 146741. يَسيركَث1 146742. يسيف1 146743. يُسِيم1 146744. يسيني1 146745. يَشَّ1 146746. يشار1 146747. يشان1 146748. يُشاهِدوني1 146749. يُشَاوِي1 146750. يَشُبُّ1 146751. يشب4 146752. يَشْبِر1 146753. يُشبْرِقُ 1 146754. يَشْبُك1 146755. يِشْتَخْتَه1 146756. يَشْتُم1 146757. يَشِجّ1 146758. يَشْجَلُ1 146759. يَشُحّ1 146760. يشر2 146761. يَشْرُب1 146762. يَشُرْطِيّ1 146763. يَشْرِفون1 146764. يَشْرُق1 146765. يشش2 146766. يَشْفَى1 146767. يشق1 146768. يَشْكُرِيّ1 146769. يَشْكِين1 146770. يشلي1 146771. يشم4 146772. يَشُمُّ1 146773. يشمق1 146774. يشوا1 146775. يُشَوِّح1 146776. يُشَوِّن1 146777. يَشِيَاب1 146778. يَشِيد1 146779. يَصْبح1 146780. يصح1 146781. يصدفون1 146782. يَصْدِفُونَ1 146783. يصدون1 146784. يصر1 146785. يَصْرَخ1 146786. يَصْري1 146787. يصص3 146788. يَصَّصَ1 146789. يصُف1 146790. يصل1 146791. يَصْلُب1 146792. يصمه1 146793. يصهر1 146794. يُصْهَرُ1 146795. يَصْوَا1 146796. يَصِيغ1 146797. يضؤه1 146798. يَضَّضَ1 146799. يضض4 146800. يُضْطَرُّ1 146801. يضع1 146802. يَضِل1 146803. يَضْمُور1 Prev. 100
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الجذر: س ل ق

مثال: يَسْلِقه بلسانه
الرأي: مرفوضة عند الأكثرين
السبب: للخطأ في ضبط عين المضارع بالكسر.
المعنى: يؤذيه بالكلام

الصواب والرتبة: -يَسْلُقُه بلسانه [فصيحة]-يَسْلِقُه بلسانه [صحيحة]
التعليق: الثابت في المعاجم أنَّ الباب الصرفيَّ للفعل «سَلَقَ» بالمعنى المذكور هو: «نَصَرَ»؛ ومن ثمَّ تكون عينه مضمومة في المضارع. ويمكن تصحيح الضبط المرفوض استنادًا إلى رأي بعض اللغويين كأبي زيد وابن خالويه وغيرهما الذين يرون قياسية الانتقال من فتح عين الفعل في الماضي إلى ضمها أو كسرها في المضارع؛ ولشيوع التبادل بين بابي ضَرَب ونَصَر في العديد من القراءات القرآنية.
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